श्रावण सोमवारी पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, मुंगेली के शंकर मंदिर और खर्राघाट बने आस्था के केंद्र
मुंगेली, छत्तीसगढ़। श्रावण मास के अंतिम सोमवार को मुंगेली नगर के प्रसिद्ध शंकर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। आस्था और भक्ति के इस पावन अवसर पर भोलेनाथ के भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए जलाभिषेक करते नजर आए। मंदिर परिसर “हर-हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठा।
इस मौके पर हम आपको मुंगेली जिले के दो प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी दे रहे हैं, जो न केवल आस्था का केंद्र हैं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का भी जीवंत प्रतीक हैं।
खर्राघाट: साधना और आस्था का संगम
मुंगेली के समीप आगर नदी के किनारे स्थित खर्राघाट एक प्रसिद्ध साधना स्थल है। यहां 1890 में नाथ संप्रदाय के सिद्ध महात्मा महादेव जी ने शिव मंदिर की स्थापना की थी। महाशिवरात्रि के अवसर पर लगने वाला मेला आज भी श्रद्धा और परंपरा का अद्भुत उदाहरण है। यह स्थल “गणेश्वर महादेव” के नाम से भी विख्यात है।
खर्राघाट के प्रमुख आकर्षण: • शिव मंदिर • राधा-कृष्ण मंदिर • दुर्गा मंदिर • काली माता मंदिर • हनुमान मंदिर • नागा साधुओं की समाधियाँ • बाबा दुलान का पवित्र स्थल
शंकर मंदिर – मुंगेली का सबसे प्राचीन शिवधाम
मुंगेली नगर का शंकर मंदिर करीब 250 वर्षों पुराना माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी स्थापत्य कला तथा धार्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं में विशेष स्थान रखता है।
शंकर मंदिर के विशेष आकर्षण: • शिवलिंग, गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएँ • श्वेत और अश्वेत द्वारपाल • हनुमान जी की मूर्ति • श्री खेमेंश्वर बाबा की समाधि
बाइट: शंकर मंदिर के पुजारी
मुंगेली का खर्राघाट और शंकर मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि ये छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक परंपरा और सांस्कृतिक चेतना को भी जीवंत बनाए रखते हैं। इन स्थलों की यात्रा कर श्रद्धालु शांति, भक्ति और आत्मिक संतुलन का अनुभव करते हैं।