CAG रिपोर्ट में बिहार सरकार पर 71,242 करोड़ रुपये

कहां खर्च हो गए 71 हजार करोड़? नीतीश सरकार को नहीं पता... CAG रिपोर्ट का बड़ा खुलासा

Bihar 71 thousand crore unaccounted

बिहार की राजनीति एक बार फिर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर चर्चा में है। हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार सरकार को 71,242 करोड़ रुपये के खर्च का कोई हिसाब नहीं है। यह पैसा कहां और कैसे खर्च हुआ, इसका कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं दिया गया है।

CAG की रिपोर्ट ने यह साफ किया कि यह धनराशि वर्ष 2021-22 तक के खातों से जुड़ी है, जिसे विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा खर्च किया गया, लेकिन उस खर्च का कोई उपयुक्त और ऑडिट-योग्य विवरण सरकार के पास उपलब्ध नहीं है।

CAG रिपोर्ट में क्या कहा गया?

CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार द्वारा किए गए हजारों करोड़ के खर्च में डिटेल्ड कंट्रोल स्टेटमेंट्स (DCS) प्रस्तुत नहीं किए गए। इसका मतलब यह है कि जिन विभागों ने यह रकम खर्च की, उन्होंने सरकार या CAG को यह नहीं बताया कि पैसा कहां और किस उद्देश्य से खर्च किया गया। इससे न केवल पारदर्शिता की कमी झलकती है, बल्कि यह संदेह भी पैदा होता है कि कहीं यह फंड गलत हाथों में तो नहीं गया।

किन विभागों पर उठे सवाल?

रिपोर्ट में ऐसे कई विभागों का उल्लेख किया गया है जिन्होंने बड़ी धनराशि खर्च की, लेकिन कोई स्पष्ट लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं किया। इनमें शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग शामिल हैं। इन विभागों को सरकार द्वारा हर साल भारी भरकम बजट आवंटित किया जाता है, और यदि इस प्रकार के खर्च का कोई रिकॉर्ड न हो, तो यह राज्य की अर्थव्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर असर डालता है।

विपक्ष का हमला

इस खुलासे के बाद विपक्ष ने नीतीश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। भाजपा और राजद जैसे दलों ने इस मुद्दे को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए सरकार पर हमला बोला है। उनका कहना है कि यह केवल वित्तीय लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित घोटाले की ओर इशारा करता है।

नीतीश सरकार की सफाई

सरकार की ओर से अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई विस्तृत स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है। हालांकि, सरकार के कुछ प्रवक्ताओं ने दावा किया है कि यह "तकनीकी त्रुटि" हो सकती है और जल्द ही संबंधित विभागों से जवाब मांगा जाएगा।

जनता के पैसे का जवाब कौन देगा?

71 हजार करोड़ रुपये कोई मामूली राशि नहीं है। यह वही पैसा है जो जनता से टैक्स के रूप में वसूला जाता है और जिसका उद्देश्य राज्य के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना होता है। ऐसे में यदि सरकार यह नहीं बता पाए कि यह पैसा कहां गया, तो यह आम जनता के साथ अन्याय है।

CAG की रिपोर्ट ने नीतीश कुमार की 'सुशासन बाबू' की छवि पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या यह केवल प्रशासनिक लापरवाही है या फिर कोई बड़ा घोटाला – इसका जवाब सरकार को जल्द देना होगा। पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतंत्र के मूल स्तंभ हैं, और यदि सरकार इन स्तंभों को कमजोर करती है, तो जनता का विश्वास डगमगाने लगता है।