2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच पंजाब के 8 सियासी दलों को शो-काज नोटिस जारी, रद्द हो सकती है मान्यता
वर्ष 2019 से लेकर अब तक न तो किसी लोकसभा, विधानसभा और न ही किसी उपचुनाव में भाग लिया है
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए अंतर्गत राजनीतिक दलों की सूची से हटाने का प्रस्ताव
15 जुलाई तक हलफनामे के साथ लिखित और समर्थन दस्तावेज अध्यक्ष या महासचिव के माध्यम से भेजें
यदि तय तिथि तक उत्तर नहीं मिलता है, तो यह माना जाएगा कि पार्टी के पास कहने के लिए कुछ नहीं है
चंडीगढ़।
पंजाब चुनाव आयोग ने राज्य के 8 सियासी दलों को शो-काज नोटिस जारी किया है। यह कार्ऱवाई उस समय की गई है, जब 2027 के विधानसभा चुनाव की सभी सियासी दल तैयारी में जुटे हैं। पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सिबिन सी ने इसकी पुष्टि की है। उनके मुताबिक चुनाव आयोग द्वारा 8 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। ऑल इंडिया शिरोमणि बाबा जीवन सिंह मज़हबी दल, भारतीय मुहब्बत पार्टी (ऑल इंडिया), सिविल राइट्स पार्टी, डेमोक्रेटिक कांग्रेस पार्टी, डेमोक्रेटिक स्वराज पार्टी, फूले भारतीय लोक पार्टी, राष्ट्रीय जागरूक पार्टी और साड्डा पंजाब पार्टी को नोटिस जारी किया है।
सूची से हटाने का प्रस्ताव
मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि इन दलों ने वर्ष 2019 से लेकर अब तक न तो किसी लोकसभा, विधानसभा और न ही किसी उपचुनाव में भाग लिया है। आयोग ने इन दलों को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के अंतर्गत पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से हटाने का प्रस्ताव रखा है।
हलफनामे के साथ जवाब
उन्होंने बताया कि 8 पार्टियों को नोटिस भेजे गए हैं। इन पार्टियों को 15 जुलाई 2025 तक हलफनामे के साथ लिखित उत्तर और समर्थन दस्तावेज पार्टी के अध्यक्ष या महासचिव के माध्यम से चुनाव आयोग को भेजने के लिए कहा गया है।
पूरी तरह सक्रिय नहीं रहीं
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, इन पार्टियों ने पिछले छह वर्षों में किसी भी चुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, और उनके वर्तमान पते भी अनुपलब्ध पाए गए हैं। इस आधार पर यह समझा गया है कि ये पार्टियाँ अब चुनाव कानून की धारा 29ए के तहत एक सक्रिय राजनीतिक पार्टी के रूप में कार्य नहीं कर रही हैं।
हो सकती है बड़ी कार्रवाई
इस मामले की सुनवाई 23 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें पार्टी अध्यक्ष, महासचिव या प्रमुख की उपस्थिति अनिवार्य होगी। यदि निर्धारित तिथि तक कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो यह माना जाएगा कि पार्टी के पास कहने के लिए कुछ नहीं है और आयोग बिना किसी अन्य सूचना के उपयुक्त कार्रवाई करेगा।