Udaipur Files: भारत में जब भी कोई फिल्म संवेदनशील मुद्दों को छूती है, विवाद और कानूनी चुनौतियां उसके साथ आ ही जाती हैं. हाल ही में ऐसी ही बहस का केंद्र बनी फिल्म 'Udaipur Files', जो राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित है. इस फिल्म की रिलीज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया कि फिल्म का कंटेंट सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का सकता है और इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह फिल्म की रिलीज पर कोई रोक नहीं लगाएगा. अदालत ने कहा कि इस स्तर पर "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" का उल्लंघन नहीं किया जा सकता और जब तक फिल्म को सेंसर बोर्ड से अनुमति मिली है, तब तक इस पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता.
फिल्म पर याचिका क्यों हुई थी?
राजस्थान के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें कहा गया कि फिल्म ‘Udaipur Files’ एक एकतरफा दृष्टिकोण पेश करती है और इससे सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है. उनका तर्क था कि यह फिल्म नफरत फैलाने का माध्यम बन सकती है और इस वजह से इसे रिलीज होने से रोका जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने साफ कहा कि जब तक फिल्म को CBFC (सेंसर बोर्ड) ने प्रमाणपत्र दे दिया है, तब तक अदालत को इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. अगर किसी को आपत्ति है, तो वह उपयुक्त मंच पर सेंसर बोर्ड के निर्णय को चुनौती दे सकता है, लेकिन अदालती स्तर पर सीधे बैन लगाने की मांग उचित नहीं है.
फिल्म की पृष्ठभूमि
‘Udaipur Files’ फिल्म उस वीभत्स हत्याकांड पर आधारित है जिसमें उदयपुर के कन्हैयालाल नामक दर्जी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी. आरोपियों ने यह हत्या एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर की थी. इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था और काफी दिनों तक इसकी गूंज रही.
फिल्ममेकर्स के लिए राहत
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद फिल्म निर्माता अब तय समय पर फिल्म को रिलीज कर सकेंगे. यह निर्णय न केवल फिल्म इंडस्ट्री के लिए राहत भरा है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर भी एक मजबूत संदेश देता है कि रचनात्मकता पर पूर्वग्रह के आधार पर रोक नहीं लगाई जा सकती.