ट्रंप के 25% टैरिफ का भारत पर क्या असर पड़ेगा

India-US Trade Deal पर संकट: ट्रंप के 25% टैरिफ का भारत पर असर और इसके मायने

Written by:

Inna Khosla

Last Updated: July 30 2025 10:54:41 PM

India-US Trade Deal पर मंडरा रहा संकट, ट्रंप के 25% टैरिफ से भारत के निर्यात पर असर, व्यापारिक संबंधों में आ सकती है दरार, बड़ा सवाल– क्या टूटेगा समझौता?

india-us trade deal पर संकट ट्रंप के 25 टैरिफ का भारत पर असर और इसके मायने

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध दशकों से मजबूत रहे हैं। दोनों देश एक-दूसरे के रणनीतिक और आर्थिक साझेदार हैं। लेकिन अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की संभावनाओं और उनके द्वारा दिए गए हालिया बयानों ने फिर से वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने 25% टैरिफ की धमकी देकर न केवल चीन, बल्कि भारत जैसे सहयोगी देशों को भी निशाने पर लिया है। अब बड़ा सवाल यह है कि India-US Trade Deal पर क्या इसका सीधा असर पड़ेगा? क्या भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक नया झटका साबित होगा?

India-US Trade Relationship का इतिहास

भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते पिछले दो दशकों में काफी गहरे हुए हैं। 2022-23 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 191 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यातक बाज़ार है, वहीं भारत अमेरिकी टेक्नोलॉजी, फार्मा और रक्षा उत्पादों का बड़ा उपभोक्ता है।

अमेरिका ने भारत को Generalized System of Preferences (GSP) जैसे लाभ भी दिए थे, जो ट्रंप के पिछले कार्यकाल में वापस ले लिए गए थे। तब से ही भारत-अमेरिका ट्रेड डील अधर में लटकी हुई है।

ट्रंप की धमकी: 25% टैरिफ और India का जिक्र क्यों? 

हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बने तो वे चीन, भारत और वियतनाम जैसे देशों से आने वाले उत्पादों पर 25% या उससे ज्यादा का टैरिफ लगा सकते हैं। ट्रंप का कहना है कि ये देश अमेरिका के साथ ‘अनफेयर ट्रेड’ कर रहे हैं, जिससे अमेरिकी नौकरियों और मैन्युफैक्चरिंग पर बुरा असर पड़ रहा है।

भारत को इस सूची में डालना यह दर्शाता है कि ट्रंप प्रशासन भारत की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात क्षमता को एक संभावित खतरे के रूप में देखता है, विशेषकर टेक्सटाइल, फार्मा और आईटी सेवाओं के क्षेत्र में।

25% टैरिफ का भारत पर असर क्या होगा? 

यदि अमेरिका भारत से आने वाले उत्पादों पर 25% का आयात शुल्क (import tariff) लगाता है, तो इसका सीधा असर भारत के exports पर पड़ेगा। भारत के लिए अमेरिका बड़ा निर्यातक बाज़ार है – विशेषकर कपड़ा (textile), ऑटो पार्ट्स, इंजीनियरिंग गुड्स, और फार्मास्युटिकल्स जैसे सेक्टर्स में।

इससे भारतीय निर्यातक कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जो अमेरिकी बाज़ार में उन्हें प्रतिस्पर्धा से बाहर कर सकती हैं। छोटे और मझोले उद्योगों पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा, क्योंकि वे अमेरिकी रिटेल चेन पर निर्भर हैं।

क्या अब India-US Trade Deal टूट जाएगी? 

India-US Trade Deal पर पहले से ही बातचीत लंबित थी। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में GSP वापस लेने के बाद भारत ने टैरिफ में कुछ बढ़ोतरी की थी, जिससे संबंधों में खटास आ गई थी। बाइडन प्रशासन के आने के बाद संबंधों में कुछ नरमी आई, लेकिन व्यापार समझौता अब तक नहीं हुआ है।

अब यदि ट्रंप दोबारा आते हैं और 25% टैरिफ लागू करते हैं, तो India-US Trade Deal की संभावनाएं और भी कम हो जाएंगी। यह भारत को मजबूर कर सकता है कि वह अन्य साझेदारों जैसे EU, UK, और ASEAN देशों के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को प्राथमिकता दे।

भारत की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है? 

भारत इस स्थिति में तीन तरीके से प्रतिक्रिया दे सकता है, पहली राजनयिक स्तर पर बातचीत, भारत ट्रंप प्रशासन से बातचीत कर यह समझाने की कोशिश कर सकता है कि भारत एक विश्वसनीय ट्रेड पार्टनर है और व्यापार में पारदर्शिता रखता है। दूसरी टैरिफ रेस्पॉन्स जिसमें भारत भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा सकता है, जैसा 2019 में किया गया था जब अमेरिका ने GSP वापस लिया था और तीसरी डायवर्सिफिकेशन यानि भारत अपनी निर्यात नीति में विविधता लाकर अन्य बाज़ारों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, जैसे अफ्रीका, यूरोप, और लैटिन अमेरिका।

बाजार और निवेशकों पर प्रभाव

यदि अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाता है, तो इसका असर शेयर बाज़ार, विदेशी निवेश और मुद्रा विनिमय दरों पर भी दिख सकता है। खासकर उन कंपनियों पर जो अमेरिका को heavy export करती हैं। इससे भारतीय रुपया कमजोर हो सकता है और विदेशी निवेशक भारत से कुछ दूरी बना सकते हैं।

ट्रंप की रणनीति और चुनावी राजनीति

ट्रंप का यह टैरिफ कार्ड अमेरिका के 2024 राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। उनका फोकस ‘America First’ एजेंडे पर है, जिसके तहत वे अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और नौकरियों को वापस लाने की बात करते हैं। भारत जैसे देश उनके इस नैरेटिव में "जॉब स्नैचर" के रूप में पेश किए जा सकते हैं।

भारत के लिए आगे का रास्ता

भारत को इस संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) और Make in India जैसे अभियानों को और तेज़ी से आगे बढ़ाकर भारत को अपने घरेलू बाज़ार को मज़बूत करना होगा। इसके साथ-साथ Free Trade Agreements (FTAs) के जरिए नए एक्सपोर्ट गेटवे बनाने होंगे।

भारत को डिजिटल ट्रेड, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी भूमिका को मजबूत करना चाहिए ताकि अमेरिका के साथ बातचीत में उसे मजबूती मिले। India-US Trade Deal पर ट्रंप के 25% टैरिफ की धमकी एक बड़ा झटका जरूर है, लेकिन यह भारत के लिए आत्मचिंतन और रणनीति सुधार का भी वक्त है। बदलते वैश्विक व्यापार समीकरणों में भारत को एक नये लीडर के रूप में उभरने का मौका मिल सकता है बशर्ते वह तेज़ी से निर्णय ले और बहुपक्षीय साझेदारियों को मज़बूत करे।