भारत सरकार ने जुलाई 2025 में प्रधानमंत्री धन‑धान्य कृषि योजना (PM-DDKY) को मंजूरी दी है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है—भारत के कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना, किसानों की आमदनी बढ़ाना और कृषि उत्पादन में स्थिरता लाना। यह योजना 100 चिन्हित जिलों में अगले 6 वर्षों तक चरणबद्ध रूप से लागू की जाएगी।
किन किसानों को मिलेगा लाभ?
छोटे और सीमांत किसान
भूमिहीन कृषि मजदूर
महिला किसान
युवा कृषक (18 से 35 वर्ष)
प्राकृतिक खेती और जैविक खेती से जुड़े किसान
इस योजना से करीब 1.7 करोड़ किसानों को सीधे लाभ मिलने की उम्मीद है।
योजना के प्रमुख घटक
फसल विविधीकरण और बीज सुधार
योजना के अंतर्गत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और विविध फसलों की खेती के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे एक ही प्रकार की फसल पर निर्भर न रहें।
सिंचाई और जल प्रबंधन
सरकार किसानों को माइक्रो इरिगेशन, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम, तथा वाटर हार्वेस्टिंग तकनीकों की सुविधा देगी।
कृषि अवसंरचना और भंडारण
कृषकों को फसल की कटाई के बाद कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, और प्रोसेसिंग यूनिट्स की सुविधा मिलेगी, जिससे फसल की बर्बादी रुकेगी और अधिक मूल्य प्राप्त होगा।
कृषि ऋण और बीमा
किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण मिलेगा। इसके अलावा, फसल बीमा योजना को इससे जोड़कर प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान की भरपाई सुनिश्चित की जाएगी।
तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण
सरकार किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म और कृषि ऐप्स के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से उन्हें मशीनरी चलाना, मिट्टी की जांच, और उर्वरकों का संतुलित प्रयोग जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
फंडिंग और निगरानी
योजना के लिए केंद्र सरकार ने ₹25,000 करोड़ का विशेष कोष बनाया है। इसके अलावा, राज्य सरकारों और निजी साझेदारों से भी सहयोग लिया जाएगा। योजना की निगरानी के लिए PM-KISAN पोर्टल से जुड़े रियल-टाइम डेटा सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।
अपेक्षित परिणाम
- किसानों की आय में 2 गुना वृद्धि
- फसल उत्पादन में 20% की बढ़ोतरी
- खेती में लागत में 15% की कमी
- ग्रामीण युवाओं को स्थानीय रोजगार
- कृषि निर्यात को नया बल
प्रधानमंत्री धन‑धान्य कृषि योजना भारत के किसानों को आधुनिक तकनीक, वित्तीय सहायता, और बाजार से बेहतर जुड़ाव दिलाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल किसान सशक्त होंगे बल्कि भारत का कृषि क्षेत्र वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़ा हो सकेगा।