लोकसभा में आज पहलगाम एनकाउंटर को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर तीखे सवाल दागे। उन्होंने पूछा कि “97 दिन बाद जो मुख्य संदिग्ध मारा गया, उस हमले की ज़िम्मेदारी किसने ली? क्या किसी अधिकारी या नेता ने इस्तीफा दिया? क्या पीड़ित परिवारों को न्याय मिला?” प्रियंका गांधी ने कहा कि केवल बयानबाज़ी और राजनीतिक प्रतिक्रिया से काम नहीं चलेगा, लोगों को जवाब चाहिए और निष्पक्ष कार्रवाई चाहिए।
हमले की जांच को लेकर उठाई मांग
प्रियंका गांधी ने संसद में कहा कि पहलगाम जैसे संवेदनशील क्षेत्र में बार-बार ऐसी घटनाएं देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि 97 दिनों तक मुख्य संदिग्ध कैसे बचा रहा, और उसकी गतिविधियों की भनक खुफिया एजेंसियों को क्यों नहीं लगी।
शहीदों के परिवारों के लिए न्याय की मांग
प्रियंका गांधी ने कहा कि हमले में जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों के परिजनों को अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। “उन परिवारों को सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, इंसाफ चाहिए,” उन्होंने कहा। साथ ही यह भी जोड़ा कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता बेहद ज़रूरी है, ताकि सरकार की नीयत पर सवाल न उठें।
सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया का इंतज़ार
प्रियंका गांधी के सवालों पर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। रक्षा मंत्री और गृह मंत्री दोनों ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से परहेज किया, हालांकि भाजपा के कुछ नेताओं ने इसे "राजनीतिक स्टंट" कहकर कांग्रेस पर निशाना साधा है।
राजनीतिक हलचल तेज़
इस बयान के बाद विपक्ष के कई अन्य नेताओं ने भी प्रियंका गांधी का समर्थन किया। टीएमसी, शिवसेना (यूबीटी) और आप के सांसदों ने भी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, सत्ताधारी दल ने कांग्रेस पर सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ने का आरोप लगाया है।
पहलगाम में हुई इस बड़ी घटना के 97 दिन बाद भले ही मुख्य संदिग्ध को मार गिराया गया हो, लेकिन इस मुद्दे ने एक बार फिर देश की आंतरिक सुरक्षा, खुफिया एजेंसियों की भूमिका, और जवाबदेही जैसे अहम विषयों को संसद के केंद्र में ला दिया है। प्रियंका गांधी द्वारा उठाए गए सवाल आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक बहस को और तेज़ कर सकते हैं।