Friday, May 16, 2025 04:05:36 AM

चंद्रमा से जुड़ी महाकुंभ की इस कहानी के बारे में
चंद्रमा न करते ये गलती तो धरती पर नहीं लगता महाकुंभ का मेला, यहां पढ़ें रोचक कहानी

महाकुंभ का मेला इस साल प्रयागराज में लगने वाला है। ऐसे में आज हम आपको कुंभ से जड़ी एक रोचक कहानी के बारे में अपने इस लेख में बताने जा रहे हैं।

 चंद्रमा न करते ये गलती तो धरती पर नहीं लगता महाकुंभ का मेला यहां पढ़ें रोचक कहानी
महाकुंभ 2025
Shyam Sundar Sharma

Kumbh Mela 2025: महाकुंभ का मेला विशेष योग और ग्रह स्थितियों में लगता है। कुंभ में स्नान करने से आपका आध्यात्मिक विकास भी होता है और आपके पाप भी धुल जाते हैं। हालांकि, बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि, चंद्र देव की एक गलती के कारण आज धरती पर कुंभ का मेला लगता है। अगर दूसरे अर्थों में कहें तो धरती वासियों के लिए चंद्र देव की गलती वरदान बन गई। आइए यहां जान लेते हैं, चंद्रमा से जुड़ी महाकुंभ की इस कहानी के बारे में। 

समुद्र मंथन 

ये बात तो हम सभी जानते हैं कि देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से कई बहुमूल्य चीजें निकलीं थीं। इन्हीं में से एक अमृत कलश भी था। अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों में भयंकर युद्ध भी हुआ था। असुरों ने देवताओं को हराकर अमृत का कलश अपने पास रख लिया था। तब देवताओं ने इंद्र के पुत्र जयंत को अमृत कलश लाने को भेजा। जयंत ने पक्षी का रूप धारण करके धोखे से अमृत के कलश को असुरों से चुरा लिया था। 

जयंत के साथ गए देव ये देवता

जब जयंत अमृत कलश को असुरों से लेने गया था तब सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति और शनि भी जयंत के साथ गए थे। हर देवता को एक जिम्मेदारी दी गयी थी। 

  • सूर्य को अमृत कलश को टूटने से बचाना था। 
  • चंद्रमा को जिम्मेदारी दी गई थी कि अमृत का कलश गलती से भी छलके ना। 
  • देव गुरु बृहस्पति को राक्षसों को रोकने के लिए भेजा गया था। 
  • वहीं शनि देव को जयंत पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई थी कि कहीं वो सारा अमृत स्वयं न पी जाए। 

    चंद्रमा से हुई थी ये गलती 

    मान्यताओं के अनुसार, जब देवता अमृत कलश स्वर्ग ला रहे थे तो एक गलती चंद्रमा से हो गई थी। चंद्रमा को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि अमृत का कलश छलके ना, लेकिन एक छोटी सी भूल के कारण अमृत कलश की चार बूंदें कलश से बाहर निकल गईं। ये चार बूंदें धरती पर चार स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं। इन चारों स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरने से ये चार स्थान पवित्र हो गए। तब से यहां स्नान करने को अत्यंत शुभ माना जाने लगा। 

    अमृत कलश को लाने की जिम्मेदारी सूर्य, चंद्रमा, गुरु और शनि को दी गई थी। इसलिए आज भी इन ग्रहों की विशेष स्थिति को देखकर ही कुंभ का आयोजन किया जाता है। महाकु्ंभ में स्नान करने वाले व्यक्ति के कई जन्मों के पाप कर्म भी धुल जाते हैं। साथ ही कुंभ में स्नान करने से आध्यात्मिक रूप से आप उन्नति पाते हैं। 


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