15 हजार की रिश्वत लेते पकड़ाया भ्रष्ट जेलर

खाचरोद जेल में रिश्वतखोरी का भंडाफोड़, लोकायुक्त ने जेलर को ऑफिस में ही धर दबोचा

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Prime News Network

Last Updated: August 02 2025 09:06:48 PM

उज्जैन लोकायुक्त ने खाचरोद उप जेल के सहायक जेल अधीक्षक (जेलर) को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

खाचरोद जेल में रिश्वतखोरी का भंडाफोड़ लोकायुक्त ने जेलर को ऑफिस में ही धर दबोचा

सतेन्द्र सिंह भदौरिया: उज्जैन लोकायुक्त ने खाचरोद उप जेल के सहायक जेल अधीक्षक (जेलर) को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। जेलर सुरेन्द्र सिंह राणावत ने जेल में बंद कैदी को मारने-पीटने से बचाने के एवज में 30 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी।

जेल में बंद साले को मारपीट से बचाने जीजा से मांगी थी रिश्वत 

उज्जैन से करीब 70 किलोमीटर दूर खाचरोद उप जेल में उस समय हड़कंप मच गया जब लोकायुक्त की टीम ने वंही उप जेल के जेलर को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। जेलर सुरेन्द्र सिंह राणावत कैदी को जेल में यातनाएं देने से बचाने के लिए 30 हज़ार रुपयों की डिमांड कर रहे थे। जेलर सुरेन्द्र सिंह राणावत ने यह रिश्वत जेल में बंद आरोपी के जीजा से मांगी थी। जीजा ने इस बात की शिकायत लोकायुक्त उज्जैन को कर दी। जिसके बाद सहायक जेल अधीक्षक सुरेन्द्र सिंह राणावत को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया गया। है।

जेल के अंदर ही रिश्वतखोरी 

शिकायत के बाद लोकायुक्त ने ट्रेप प्लान किया। तय प्लान मुताबिक शिकायतकर्ता जितेंद्र गोमे को शुक्रवार दोपहर खाचरोद उप जेल के जेलर सुरेन्द्र राणावत के पास भेजा गया। जैसे ही जितेन्द्र ने जेलर राणावत को 15 हजार रुपए की रिश्वत दी। वैसे ही तय प्लान मुताबिक लोकायुक्त टीम ने जेलर उसी के कार्यालय में ही रिश्वत लेते पकड़ लिया। रिश्वतखोर भ्रष्ट जेलर को तनिक भी आभास नहीं था, कि रिश्वतखोरी के जुर्म में उसकी वर्दी उतरने वाली है। 

अच्छा खाना, नशा और यातनाओं के बदले ऐसे चौथ वसूली का खेल 

जेल सूत्रों की मानें तो जेल के अंदर भी एक साम्राज्यवाद चलता है। यंहा अच्छा खाने के बदले हजारों रुपए की खिदमत की जाती है। यदि, जेल में नशा करना है, तो वह भी उपलब्ध हो जाता है। बस कीमत लगानी होती है। गुटखा-सिगरेट बीड़ी सब हाजिर। बस कीमत लगाओ। जेल में नई आमद होने पर उसे तब तक प्रताड़नाएं दी जाती है, जब तक वह जेलर की जेब गर्म न कर दे। कुछ दिन पहले ग्वालियर सेंट्रल जेल से एक कैदी ने जेल की यातनाओं का जिक्र करते हुए वीडियो भी वायरल किया था। ग्वालियर सेंट्रल जेल से 2 साल सजा काटने के बाद जेल से बाहर निकले जीतू उर्फ जितेन्द्र लोधी नाम के युवक ने भोपाल जेल मुख्यालय को लिखित शिकायत की थी। यह शिकायत 29 जुलाई 2025 यानि कि महज 4 दिन पहले जेल मुख्यालय को मिली। शिकायतकर्ता जितेन्द्र ने जेल के अंदर की हर दास्तान का मजमून उस चिट्ठी में लिख दिया। जेल में किस तरह यातनाओं का आतंक जारी है। किसकी क्या भूमिका है। लेकिन करें क्या ? यह शिकायत भी रद्दी की टोकरी का हिस्सा बन जाएगी। चूंकि ऐसी न जाने कितनी शिकायत जेल हेडक्वार्टर को पहुंचती हैं। चूंकि पैसा जेल से लेकर जेल हेडक्वार्टर तक बंटता है। यह मध्यप्रदेश की एक जेल नहीं हर जेल की कहानी है। उज्जैन की उप जेल खाचरौद से जेलर के ट्रेप होने पर यह कहानी सामने आ गई। नहीं तो जेल में बंद कैदियों की बुरे हालात है।

जेल की भ्रष्टाचारी देखिए अब सेंट्रल जेल में कैदी से मोबाइल पकड़ाया 

जेल में पैसे हो तो घर से ज्यादा शौक यंहा चार-दिवारी के अंदर पूरे किए जा सकते हैं। बस जेल में सलाखो के पीछे पैसों की खनक खनकनी चाहिए। यह बात हम नहीं जेल के वो सबूत बयां कर रहे हैं, जो जेल के अफसर या जेल से बाहर निकले कैदी लिख रहे हैं। अब आज 2 अगस्त शनिवार को मध्यप्रदेश की सतना सेंट्रल जेल के अंदर कैदी के पास मोबाइल मिला। सवाल खड़ा होता है कि जेल में जब बंदी को दाखिल किया जाता है। उसकी पूरी तलाशी ली जाती है। यानि कि वह जेल के सामान के अलावा बैरक में एक सुई तक नहीं ले जा सकता। फिर कैदी के पास मोबाइल कैसे पहुंचा। जबकि हर सामान की कई बार चैकिंग होती है। यानि, जाहिर सी बात है कि पैसे की खनक के आगे सभी सुविधाएं मुहैया हो गई और कैदी भी वो जो पुलिस से फरार हुआ। चाल-चलन ठीक नहीं। फिर जेल अधीक्षक लीना कोस्टा इतनी लापरवाह कैसे रही कि इस कैदी पर नजर नहीं रखी गई। अमूमन ऐसे कैदियों को अंडा सेल में या फिर कड़ी निगरानी में रखा जाता है। अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि जेल के अंदर की संदिग्ध गतिविधियां बाहर तक पहुंच गई होंगी।

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