यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थानों के खिलाफ़ कोटा
सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे को लेकर दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज ने हाईकोर्ट में एक बड़ी दलील दी है। सेंट स्टीफंस कॉलेज ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की 'सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटा' के तहत एक छात्रा को एडमिशन देने की पॉलिसी समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है। कॉलेज के वकील ने कहा कि लड़कियों के लिए कोटा संविधान के अनुच्छेद 14, 15(3), 15(5) और 30 का उल्लंघन है और इस कोटे के तहत सीटें आवंटित करना इन 4 अनुच्छेदों के खिलाफ है।
"क्या आपने पहले कभी इस पर आपत्ति जताई है?
चर्चा के दौरान, जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने पूछा, "क्या आपने पहले कभी इस पर आपत्ति जताई है? क्या आपने कभी इस पॉलिसी का विरोध किया है, या उन्हें पत्र लिखा है, या कोई मामला दर्ज किया है?" जवाब में, सीनियर एडवोकेट रोमी चाको ने कहा, "इस साल, वे केवल 5 प्रतिशत अधिक सीटें अलॉट करने और हर एक कार्यक्रम के लिए एक उम्मीदवार को नियुक्त करने पर सहमत हुए। हालाँकि, आज हम इसे चुनौती देने के लिए मजबूर हैं क्योंकि एक उम्मीदवार आवंटित करने के बजाय, वे 13 उम्मीदवारों को नियुक्त कर रहे हैं। अगर हमें केवल एक लड़की को एडमिशन देने के लिए कहा जाता तो हमें कोई समस्या नहीं होती।"
इस पर कोई कानून नहीं- कॉलेज
कॉलेज के एडवोकेट ने तर्क दिया कि इस पर कोई कानून नहीं है और यह केवल यूनिवर्सिटी द्वारा लिया गया फैसला है। उन्होंने तर्क दिया कि ''मौलिक अधिकारों को कार्यकारी आदेश द्वारा नहीं छीना जा सकता। इसका कोई वैधानिक समर्थन नहीं है। हम पर लगाए गए इन सभी कोटा का कोई वैधानिक समर्थन नहीं है। इसलिए, यह विशेष कोटा अनुच्छेद 14, 15 (3), 15 (5) और 30 के विरुद्ध है।'' उन्होंने कहा कि कॉलेज ने कोटा के लिए सहमति दे दी थी, लेकिन अब डीयू कुछ ऐसा थोपने की कोशिश कर रहा है जो विश्वविद्यालय बुलेटिन के विपरीत है।
कॉलेज ने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थानों के खिलाफ़ कोटा लागू करने की कोशिश कर रहा है। वकील ने कहा, "हम पर लगाए गए इन सभी कोटा का कोई वैधानिक समर्थन नहीं है। आज आप कुछ ऐसा लागू करने की कोशिश कर रहे हैं जो यूनिवर्सिटी के बुलेटिन से परे है।"