शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के दुमका जिले के नेमरा गांव में हुआ था। 1960 के दशक में उन्होंने ज़मींदारी प्रथा और शोषण के खिलाफ मोर्चा खोला।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संरक्षक शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और काफी समय से किडनी संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर से झारखंड ही नहीं, पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
शिबू सोरेन, जिन्हें लोग सम्मानपूर्वक "गुरुजी" के नाम से जानते थे, झारखंड आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक रहे। उन्होंने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया और आदिवासी समाज के हक और अधिकारों के लिए जीवनभर आवाज उठाई।
वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। साथ ही उन्होंने केंद्र में कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया। उनका राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हमेशा आदिवासी समाज और वंचित वर्ग के लिए काम किया।
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के दुमका जिले के नेमरा गांव में हुआ था। 1960 के दशक में उन्होंने ज़मींदारी प्रथा और शोषण के खिलाफ मोर्चा खोला। 1972 में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की, जिसने आदिवासी समुदाय को राजनीतिक मंच पर मजबूत पहचान दिलाई।
उनके निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा,
“मेरे पिता सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक आंदोलन थे। उनका जीवन समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए समर्पित रहा।”
झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में राज्य में राजकीय शोक की घोषणा की है। मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर रांची लाया जाएगा, जहाँ आम जनता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेगी। इसके बाद अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया जाएगा।
केंद्र सरकार समेत कई राज्यों के नेताओं ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, और कई अन्य प्रमुख नेताओं ने उनके योगदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।